১২৯৮

পরিচ্ছেদঃ

১২৯৮। আলী (রাঃ) কে জিজ্ঞাসা করা হলো, রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম কি আপনাদেরকে এমন কোনো আদেশ বা উপদেশ দিতেন, যা সাধারণ মানুষকে দিতেন না? তিনি বললেন, আমার এই তরবারীর খাপে যা আছে, তা ছাড়া আর কোন জিনিস এমন নেই, যা রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম শুধু আমাদেরকে জানাতেন, অন্য কাউকে জানাতেন না। অতঃপর আলী (রাঃ) একখানা পুস্তিকা বের করলেন, যাতে উটের দাঁতের তৈরি কিছু ছিল। তাতে আরো ছিল, সমগ্র মদীনা একটা পবিত্র নগরী। এখানে যে ব্যক্তি কোন নতুন জিনিস চালু করবে, অথবা নতুন জিনিসের প্রচলনকারীকে প্রশ্ৰয় দেবে, তার ওপর আল্লাহর, ফেরেশতাদের ও সমগ্র মানবজাতির অভিসম্পাত। কিয়ামতের দিন তার পক্ষ থেকে কোন বিনিময় বা সুপারিশ গ্ৰহণ করা হবে না। আর মুসলিমদের পক্ষ থেকে যে কোনো একজন কোনো অমুসলিমের দায়িত্ব গ্রহণ করলেই সে নিরাপদ হয়ে যাবে। যে ব্যক্তি কোনো মুসলিমের উপর গোয়েন্দাগিরী করে তার উপর আল্লাহর ফেরেশতাদের ও সমগ্র মানবজাতির অভিসম্পাত। কিয়ামতের দিন তার পক্ষ থেকে কোনো বিনিময় বা সুপারিশ গ্ৰহণ করা হবে না। আর যে ব্যক্তি মুসলিমদের অনুমতি ব্যতীত কোনো মুক্ত গোলামের মনিব হয়, তার উপর আল্লাহর, ফেরেশতাদের ও সমগ্র মানবজাতির অভিসম্পাত। কিয়ামতের দিন তার পক্ষ হতে কোনো বিনিময় ও কোনো সুপারিশ গ্ৰহণ করা হবে না।

حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ جَعْفَرٍ، حَدَّثَنَا شُعْبَةُ، عَنْ سُلَيْمَانَ، عَنْ إِبْرَاهِيمَ التَّيْمِيِّ، عَنِ الْحَارِثِ بْنِ سُوَيْدٍ، قَالَ: قِيلَ لِعَلِيٍّ: إِنَّ رَسُولَكُمْ كَانَ يَخُصُّكُمْ بِشَيْءٍ دُونَ النَّاسِ عَامَّةً، قَالَ: مَا خَصَّنَا رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ بِشَيْءٍ لَمْ يَخُصَّ بِهِ النَّاسَ، إِلا بِشَيْءٍ فِي قِرَابِ سَيْفِي هَذَا، فَأَخْرَجَ صَحِيفَةً فِيهَا شَيْءٌ مِنْ أَسْنَانِ الْإِبِلِ، وَفِيهَا: " إِنَّ الْمَدِينَةَ حَرَمٌ مِمَّا بَيْنِ (1) ثَوْرٍ إِلَى عَائِرٍ، مَنْ أَحْدَثَ فِيهَا حَدَثًا، أَوْ آوَى مُحْدِثًا، فَإِنَّ عَلَيْهِ لَعْنَةَ اللهِ وَالْمَلائِكَةِ وَالنَّاسِ أَجْمَعِينَ، لَا يُقْبَلُ مِنْهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ صَرْفٌ، وَلا عَدْلٌ، وَذِمَّةُ الْمُسْلِمِينَ وَاحِدَةٌ، فَمَنْ أَخْفَرَ مُسْلِمًا فَعَلَيْهِ لَعْنَةُ اللهِ وَالْمَلائِكَةِ وَالنَّاسِ أَجْمَعِينَ، لَا يُقْبَلُ مِنْهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ صَرْفٌ، وَلا عَدْلٌ، وَمَنْ تَوَلَّى مَوْلًى بِغَيْرِ إِذْنِهِمْ فَعَلَيْهِ لَعْنَةُ اللهِ وَالْمَلائِكَةِ وَالنَّاسِ أَجْمَعِينَ، لَا يُقْبَلُ مِنْهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ صَرْفٌ، وَلا عَدْلٌ

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إسناده صحيح على شرط الشيخين. سليمان: هو ابن مهران الأعمش، وإبراهيم التيمي: هو ابن يزيد بن شريك
وأخرجه النسائي في "الكبرى" (4277) من طريق محمد بن جعفر، بهذا الإسناد
وأخرجه الطبري في "تهذيب الآثار" ص 197 من طريق ابن أبي عدي، عن شعبة، به
وأخرجه الطبري أيضاً من طريق سفيان الثوري، عن الأعمش، به. وانظر ما تقدم برقم (615)

حدثنا محمد بن جعفر، حدثنا شعبة، عن سليمان، عن ابراهيم التيمي، عن الحارث بن سويد، قال: قيل لعلي: ان رسولكم كان يخصكم بشيء دون الناس عامة، قال: ما خصنا رسول الله صلى الله عليه وسلم بشيء لم يخص به الناس، الا بشيء في قراب سيفي هذا، فاخرج صحيفة فيها شيء من اسنان الابل، وفيها: " ان المدينة حرم مما بين (1) ثور الى عاىر، من احدث فيها حدثا، او اوى محدثا، فان عليه لعنة الله والملاىكة والناس اجمعين، لا يقبل منه يوم القيامة صرف، ولا عدل، وذمة المسلمين واحدة، فمن اخفر مسلما فعليه لعنة الله والملاىكة والناس اجمعين، لا يقبل منه يوم القيامة صرف، ولا عدل، ومن تولى مولى بغير اذنهم فعليه لعنة الله والملاىكة والناس اجمعين، لا يقبل منه يوم القيامة صرف، ولا عدل - اسناده صحيح على شرط الشيخين. سليمان: هو ابن مهران الاعمش، وابراهيم التيمي: هو ابن يزيد بن شريك واخرجه النساىي في "الكبرى" (4277) من طريق محمد بن جعفر، بهذا الاسناد واخرجه الطبري في "تهذيب الاثار" ص 197 من طريق ابن ابي عدي، عن شعبة، به واخرجه الطبري ايضا من طريق سفيان الثوري، عن الاعمش، به. وانظر ما تقدم برقم (615)

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
মুসনাদে আহমাদ
মুসনাদে আলী ইবনে আবি তালিব (রাঃ) [আলীর বর্ণিত হাদীস] (مسند علي بن أبي طالب)