৩৬৯১

পরিচ্ছেদঃ যিকরের মজলিসের ফযীলত

এবং উক্ত মজলিসে অংশগ্রহণ করা উত্তম আর বিনা ওজরে তা ছেড়ে চলে যাওয়া নিষেধ।

আল্লাহ বলেছেন,

واصْبِرْ نَفْسَكَ مَعَ الَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدَاةِ وَالْعَشِيِّ يُريدُوْنَ وَجْهَهُ وَلاَ تَعْدُ عَيْناكَ عَنْهُمْ

অর্থাৎ, তুমি নিজেকে তাদের সংসর্গে আবদ্ধ রাখ, যারা সকাল-সন্ধ্যায় তাদের পালনকর্তাকে তাঁর সন্তুষ্টি লাভের উদ্দেশ্যে আহ্বান করে থাকে এবং তুমি তাদের নিকট হতে স্বীয় দৃষ্টি ফিরায়ো না। (সূরা কাহফ ২৮)


(৩৬৯১) আবূ হুরাইরা (রাঃ) কর্তৃক বর্ণিত, তিনি বলেন, আল্লাহর রসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেন, ’’নিশ্চয় আল্লাহর কিছু ফিরিশতা আছেন, যাঁরা রাস্তায় রাস্তায় ঘুরে-ফিরে আহলে যিকর খুঁজতে থাকেন। অতঃপর যখন কোন সম্প্রদায়কে আল্লাহর যিকররত অবস্থায় পেয়ে যান, তখন তাঁরা একে অপরকে আহবান ক’রে বলতে থাকেন, ’এস তোমাদের প্রয়োজনের দিকে।’ সুতরাং তাঁরা (সেখানে উপস্থিত হয়ে) তাদেরকে নিজেদের ডানা দ্বারা নিচের আসমান পর্যন্ত বেষ্টিত ক’রে ফেলেন। অতঃপর তাঁদেরকে তাঁদের প্রতিপালক জানা সত্ত্বেও তাঁদেরকে জিজ্ঞাসা করেন, ’আমার বান্দারা কী বলছে?’ ফিরিশতারা বলেন, ’তারা আপনার পবিত্রতা ঘোষণা করছে, আপনার মহত্ত্ব বর্ণনা করছে, আপনার প্রশংসা ও গৌরব বয়ান করছে।’ আল্লাহ বলেন, ’তারা কি আমাকে দেখেছে?’ ফিরিশতারা বলেন, ’জী না, আল্লাহর কসম! তারা আপনাকে দেখেনি।’ আল্লাহ বলেন, ’কী হত, যদি তারা আমাকে দেখত?’ ফিরিশতারা বলেন, ’যদি তারা আপনাকে দেখত, তাহলে আরো বেশী বেশী ইবাদত, গৌরব বর্ণনা ও তসবীহ করত।’ আল্লাহ বলেন, ’কী চায় তারা?’ ফিরিশতারা বলেন, ’তারা আপনার কাছে বেহেশত্ চায়।’ আল্লাহ বলেন, ’তারা কি বেহেশত দেখেছে?’

ফিরিশতারা বলেন, ’জী না, আল্লাহর কসম! হে প্রতিপালক! তারা তা দেখেনি।’ আল্লাহ বলেন, ’কী হত, যদি তারা তা দেখত?’ ফিরিশতারা বলেন, ’তারা তা দেখলে তার জন্য আরো বেশী আগ্রহান্বিত হত। আরো বেশী বেশী তা প্রার্থনা করত। তাদের চাহিদা আরো বড় হত।’ আল্লাহ বলেন, ’তারা কী থেকে পানাহ চায়?’ ফিরিশতারা বলেন, ’তারা দোযখ থেকে পানাহ চায়।’ আল্লাহ বলেন, ’তারা কি দোযখ দেখেছে?’ ফিরিশতারা বলেন, ’জী না, আল্লাহর কসম! হে প্রতিপালক! তারা তা দেখেনি।’ আল্লাহ বলেন, ’কী হত, যদি তারা তা দেখত?’ ফিরিশতারা বলেন, ’তারা তা দেখলে বেশী বেশী করে তা হতে পলায়ন করত। বেশী বেশী ভয় করত।’ তখন আল্লাহ বলেন, ’আমি তোমাদেরকে সাক্ষী রেখে বলছি যে, আমি তাদেরকে মাফ করে দিলাম।’ ফিরিশতাদের মধ্য থেকে একজন বলেন, ’কিন্তু ওদের মধ্যে অমুক ওদের দলভুক্ত নয়। সে আসলে নিজের কোন প্রয়োজনে সেখানে এসেছে।’ আল্লাহ বলেন, ’(আমি তাকেও মাফ করে দিলাম! কারণ,) তারা হল এমন সম্প্রদায়, যাদের সাথে যে বসে সেও বঞ্চিত (হতভাগা) থাকে না।

وَعَنْ أَبِيْ هُرَيْرَةَ قَالَ : قَالَ رَسُوْلُ اللهِ ﷺ إنَّ للهِ تَعَالٰـى مَلائِكَةً يَطُوفُونَ فِي الطُّرُقِ يَلْتَمِسُونَ أَهْلَ الذِّكْرِ فَإِذَا وَجَدُوا قَوْمَاً يَذْكُرُونَ اللهَ عَزَّ وَجَلَّ تَنَادَوْا : هَلُمُّوا إِلَى حَاجَتِكُمْ فَيَحُفُّونَهُمْ بِأَجْنِحَتِهِم إِلَى السَّمَاءِ الدُّنْيَا فَيَسْألُهُمْ رَبُّهُمْ وَهُوَ أعْلَم : مَا يَقُولُ عِبَادي؟ قَالَ : يَقُولُون يُسَبِّحُونَكَ وَيُكبِّرُونَكَ وَيَحْمَدُونَكَ ويُمَجِّدُونَكَ فيَقُولُ : هَلْ رَأَوْنِي ؟ فيَقُولُونَ : لاَ وَاللهِ مَا رَأَوْكَ فَيَقُولُ : كَيْفَ لَوْ رَأَوْنِي قَالَ : يَقُولُونَ : لَوْ رَأَوْكَ كَانُوا أَشَدَّ لَكَ عِبَادَةً وَأَشَدَّ لَكَ تَمْجِيداً وَأَكْثَرَ لَكَ تَسْبِيحاً فَيَقُولُ : فَمَاذَا يَسْأَلُونَ ؟ قَالَ : يَقُولُونَ: يَسْأَلُونَكَ الجَنَّةَ قَالَ : يَقُولُ : وَهَل رَأَوْهَا ؟ قَالَ : يَقُولُونَ : لاَ وَاللهِ يَا رَبِّ مَا رَأَوْهَا قَالَ : يَقُولُ : فَكَيفَ لَوْ رَأَوْهَا ؟ قَالَ : يَقُولُونَ : لَوْ أَنَّهُمْ رَأوْهَا كَانُوا أَشَدَّ عَلَيْهَا حِرْصاً وَأَشَدَّ لَهَا طَلَباً، وَأَعْظَمَ فِيهَا رَغْبَةً قَالَ : فَمِمَّ يَتَعَوَّذُونَ ؟ قَالَ : يَقُولُون : يَتَعَوَّذُونَ مِنَ النَّارِ ؛ قَالَ : فيَقُولُ: وَهَلْ رَأَوْهَا ؟ قَالَ : يَقُولُونَ : لاَ وَاللهِ مَا رَأَوْهَا فيَقُولُ : كَيْفَ لَوْ رَأَوْهَا قَالَ : يَقُولُونَ : لَوْ رَأوْهَا كَانُوا أَشَدَّ مِنْهَا فِرَاراً وَأَشَدَّ لَهَا مَخَافَةً قَالَ : فيَقُولُ : فَأُشْهِدُكُمْ أنِّي قَدْ غَفَرْتُ لَهُم قَالَ : يَقُولُ مَلَكٌ مِنَ المَلاَئِكَةِ : فِيهِمْ فُلاَنٌ لَيْسَ مِنْهُمْ إنَّمَا جَاءَ لِحَاجَةٍ قَالَ : هُمُ الجُلَسَاءُ لاَ يَشْقَى بِهِمْ جَلِيسُهُمْ متفق عَلَيْهِ

وعن ابي هريرة قال : قال رسول الله ﷺ ان لله تعالـى ملاىكة يطوفون في الطرق يلتمسون اهل الذكر فاذا وجدوا قوما يذكرون الله عز وجل تنادوا : هلموا الى حاجتكم فيحفونهم باجنحتهم الى السماء الدنيا فيسالهم ربهم وهو اعلم : ما يقول عبادي؟ قال : يقولون يسبحونك ويكبرونك ويحمدونك ويمجدونك فيقول : هل راوني ؟ فيقولون : لا والله ما راوك فيقول : كيف لو راوني قال : يقولون : لو راوك كانوا اشد لك عبادة واشد لك تمجيدا واكثر لك تسبيحا فيقول : فماذا يسالون ؟ قال : يقولون: يسالونك الجنة قال : يقول : وهل راوها ؟ قال : يقولون : لا والله يا رب ما راوها قال : يقول : فكيف لو راوها ؟ قال : يقولون : لو انهم راوها كانوا اشد عليها حرصا واشد لها طلبا، واعظم فيها رغبة قال : فمم يتعوذون ؟ قال : يقولون : يتعوذون من النار ؛ قال : فيقول: وهل راوها ؟ قال : يقولون : لا والله ما راوها فيقول : كيف لو راوها قال : يقولون : لو راوها كانوا اشد منها فرارا واشد لها مخافة قال : فيقول : فاشهدكم اني قد غفرت لهم قال : يقول ملك من الملاىكة : فيهم فلان ليس منهم انما جاء لحاجة قال : هم الجلساء لا يشقى بهم جليسهم متفق عليه

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
বর্ণনাকারীঃ আবূ হুরায়রা (রাঃ)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
হাদীস সম্ভার
২৯/ দু‘আ ও যিকর