৫১১

পরিচ্ছেদঃ

৫১১। আহনাফ বলেছেন, আমরা হজ করতে রওনা হলাম এবং মদীনা অতিক্রম করলাম। আমরা যখন আমাদের মানযিলে অবস্থান করছিলাম, তখন সহসা এক ব্যক্তি আমাদের নিকট উপস্থিত হলো। সে বললোঃ লোকেরা ভীত সন্ত্রস্ত অবস্থায় মসজিদে অবস্থান করছে। এ কথা শুনে আমি ও আমার সাথী চলে গেলাম। অল্পক্ষণের মধ্যেই আমি তাদের সাথে মিলিত হলাম এবং তাদের সামনে দাঁড়ালাম। দেখলাম, সেখানে আলী বিন আবি তালিব, যুবাইর, তালহা ও সা’দ বিন আবি ওয়াক্কাস (রাঃ) রয়েছেন। কিছুক্ষণের মধ্যেই উসমান (রাঃ) সেখানে উপস্থিত হলেন। তিনি বললেন, এখানে কি আলী আছে? লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ। তিনি বললেন, এখানে কি যুবাইর আছে? লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ। তিনি বললেন, এখানে কি তালহা আছে? লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ। তিনি বললেন, এখানে কি সা’দ আছে? লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ।

তিনি বললেন, আল্লাহর শপথ করে তোমাদেরকে বলছি, যিনি ছাড়া আর কোন ইলাহ নেই, তোমরা কি জান যে, রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেছিলেনঃ যে ব্যক্তি অমুক গোত্রের উম্মুক্ত প্ৰান্তরটি খরিদ করবে, আল্লাহ তাকে মাফ করে দেবেন। তখন আমি সেটি খরিদ করলাম। অতঃপর রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লামের নিকট উপস্থিত হলাম। আমি বললামঃ আমি সেই প্রান্তরটি খরিদ করেছি। রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বললেনঃ ওটাকে আমাদের মসজিদের অন্তর্ভুক্ত কর, তুমিই এর সওয়াব পাবে। লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ, জানি।

উসমান (রাঃ) পুনরায় বললেনঃ আমি তোমাদেরকে আল্লাহর শপথ করে বলছি, যিনি ছাড়া আর কোন ইলাহ নেই, তোমরা কি জান যে, রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম বলেছিলেন, রুমার কূপটি কে খরিদ করবে? তখন আমি সেটা নির্দিষ্ট পরিমাণ অর্থের বিনিময়ে খরিদ করলাম। অতঃপর রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লামের কাছে এলাম এবং বললামঃ আমি রুমার কূপটি খরিদ করেছি। তিনি বললেনঃ ওটাকে মুসলিমদের খাবার পানির উৎসরূপে নির্ধারণ কর এবং এর সাওয়াব তুমিই পাবে। লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ, জানি, এ সবই সত্য।

উসমান (রাঃ) আবার বললেনঃ তোমাদেরকে আল্লাহর শপথ করে জিজ্ঞাসা করছি, যিনি ছাড়া আর কোন ইলাহ নেই, তোমরা কি জান যে, রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়সাল্লাম দুর্যোগের সেনাবাহিনী সংগঠনের দিনে মুসলিমদের দিকে দৃষ্টি দিয়ে বললেনঃ যে ব্যক্তি এই মুসলিমদেরকে যুদ্ধের সাজ সরঞ্জাম সজ্জিত করবে, আল্লাহ তার গুনাহ মাফ করে দেবেন। তখন আমি তাদেরকে যুদ্ধ সাজে সজ্জিত করলাম। এমনকি তাদের একটি লাগাম, ধনুকের জ্যা ও এক গাছি রাশিরও অভাব রইল না। লোকেরা বললোঃ হ্যাঁ, জানি। এসবই আপনি করেছেন। উসমান (রাঃ) বললেনঃ হে আল্লাহ, তুমি সাক্ষী থাক, হে আল্লাহ, তুমি সাক্ষী থাক, হে আল্লাহ, তুমি সাক্ষী থাক। অতঃপর তিনি চলে গেলেন।

[ইবনু হিব্বান-৬৯২০, ইবনু খুযাইমা-২৪৮৭, নাসায়ী-৪৬/৬, ২৩৩, ২৩৪। মুসনাদে আহমাদ-৪২০]

حَدَّثَنَا بَهْزٌ، حَدَّثَنَا أَبُو عَوَانَةَ، حَدَّثَنَا حُصَيْنٌ، عَنْ عَمْرِو بْنِ جَاوَانَ، قَالَ: قَالَ الْأَحْنَفُ: انْطَلَقْنَا حُجَّاجًا، فَمَرَرْنَا بِالْمَدِينَةِ، فَبَيْنَمَا نَحْنُ فِي مَنْزِلِنَا، إِذْ جَاءَنَا آتٍ، فَقَالَ: النَّاسُ مِنْ فَزَعٍ فِي الْمَسْجِدِ. فَانْطَلَقْتُ أَنَا وَصَاحِبِي، فَإِذَا النَّاسُ مُجْتَمِعُونَ عَلَى نَفَرٍ فِي الْمَسْجِدِ، قَالَ: فَتَخَلَّلْتُهُمْ حَتَّى قُمْتُ عَلَيْهِمْ، فَإِذَا عَلِيُّ بْنُ أَبِي طَالِبٍ وَالزُّبَيْرُ وَطَلْحَةُ وَسَعْدُ بْنُ أَبِي وَقَّاصٍ، قَالَ: فَلَمْ يَكُنْ ذَلِكَ بِأَسْرَعَ مِنْ أَنْ جَاءَ عُثْمَانُ يَمْشِي، فَقَالَ: أَهَاهُنَا عَلِيٌّ؟ قَالُوا: نَعَمْ. قَالَ: أَهَاهُنَا الزُّبَيْرُ؟ قَالُوا: نَعَمْ. قَالَ: أَهَاهُنَا طَلْحَةُ؟ قَالُوا: نَعَمْ. قَالَ: أَهَاهُنَا سَعْدٌ؟ قَالُوا: نَعَم

قَالَ: أَنْشُدُكُمْ بِاللهِ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ، أَتَعْلَمُونَ أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: " مَنْ يَبْتَاعُ مِرْبَدَ بَنِي فُلانٍ غَفَرَ اللهُ لَهُ ". فَابْتَعْتُهُ، فَأَتَيْتُ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، فَقُلْتُ: إِنِّي قَدِ ابْتَعْتُهُ. فَقَالَ: " اجْعَلْهُ فِي مَسْجِدِنَا وَأَجْرُهُ لَكَ "؟ قَالُوا: نَعَم

قَالَ: أَنْشُدُكُمْ بِاللهِ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ، أَتَعْلَمُونَ أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: " مَنْ يَبْتَاعُ بِئْرَ رُومَةَ؟ " فَابْتَعْتُهَا بِكَذَا وَكَذَا، فَأَتَيْتُ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقُلْتُ: إِنِّي قَدِ ابْتَعْتُهَا، يَعْنِي بِئْرَ رُومَةَ، فَقَالَ: " اجْعَلْهَا سِقَايَةً لِلْمُسْلِمِينَ وَأَجْرُهَا لَكَ "؟ قَالُوا: نَعَم

قَالَ: أَنْشُدُكُمْ بِاللهِ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ، أَتَعْلَمُونَ أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ نَظَرَ فِي وُجُوهِ الْقَوْمِ يَوْمَ جَيْشِ الْعُسْرَةِ، فَقَالَ: " مَنْ يُجَهِّزُ هَؤُلاءِ غَفَرَ اللهُ لَهُ " فَجَهَّزْتُهُمْ، حَتَّى مَا يَفْقِدُونَ خِطَامًا وَلا عِقَالًا؟ قَالُوا: اللهُمَّ نَعَمْ. قَالَ: اللهُمَّ اشْهَدْ، اللهُمَّ اشْهَدْ، اللهُمَّ اشْهَدْ. ثُمَّ انْصَرَفَ

حديث صحيح لغيره، وهذا إسناد ضعيف، عمرو بن جاوان روى له النسائي، ولم يرو عنه غير حصين، ولم يذكره أحد في الثقات غير ابن حبان، وقال الذهبي: لا يعرف، وباقي رجاله ثقات رجال الشيخين. بهز: هو ابن أسد، وحصين: هو ابن عبد الرحمن السلمي، والأحنف: هو ابن قيس التميمي
وأخرجه الطيالسي (82) ، وابنُ أبي عاصم (1303) من طريق أبي عوانة، بهذا الإسناد
وأخرجه ابنُ أبي شيبة 12 / 39، وابن أبي عاصم (1303) و (1304) ، والبزار (390) و (391) ، والنسائي 6 / 46 و233 و234، وابن خزيمة (2487) ، وابن حبان (6920) من طريقين عن حصين، به. وقد تقدم من طريق آخر برقم (420)
وسيأتي من طريق آخر عن عثمان (555) . وله شاهد من حديث ثمامة بن حزن القشيري عند الترمذي (3703) ، والنسائي 6 / 235 - 236، قال الترمذي: حديث حسن

حدثنا بهز، حدثنا ابو عوانة، حدثنا حصين، عن عمرو بن جاوان، قال: قال الاحنف: انطلقنا حجاجا، فمررنا بالمدينة، فبينما نحن في منزلنا، اذ جاءنا ات، فقال: الناس من فزع في المسجد. فانطلقت انا وصاحبي، فاذا الناس مجتمعون على نفر في المسجد، قال: فتخللتهم حتى قمت عليهم، فاذا علي بن ابي طالب والزبير وطلحة وسعد بن ابي وقاص، قال: فلم يكن ذلك باسرع من ان جاء عثمان يمشي، فقال: اهاهنا علي؟ قالوا: نعم. قال: اهاهنا الزبير؟ قالوا: نعم. قال: اهاهنا طلحة؟ قالوا: نعم. قال: اهاهنا سعد؟ قالوا: نعم قال: انشدكم بالله الذي لا اله الا هو، اتعلمون ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: " من يبتاع مربد بني فلان غفر الله له ". فابتعته، فاتيت رسول الله صلى الله عليه وسلم، فقلت: اني قد ابتعته. فقال: " اجعله في مسجدنا واجره لك "؟ قالوا: نعم قال: انشدكم بالله الذي لا اله الا هو، اتعلمون ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: " من يبتاع بىر رومة؟ " فابتعتها بكذا وكذا، فاتيت رسول الله صلى الله عليه وسلم فقلت: اني قد ابتعتها، يعني بىر رومة، فقال: " اجعلها سقاية للمسلمين واجرها لك "؟ قالوا: نعم قال: انشدكم بالله الذي لا اله الا هو، اتعلمون ان رسول الله صلى الله عليه وسلم نظر في وجوه القوم يوم جيش العسرة، فقال: " من يجهز هولاء غفر الله له " فجهزتهم، حتى ما يفقدون خطاما ولا عقالا؟ قالوا: اللهم نعم. قال: اللهم اشهد، اللهم اشهد، اللهم اشهد. ثم انصرف حديث صحيح لغيره، وهذا اسناد ضعيف، عمرو بن جاوان روى له النساىي، ولم يرو عنه غير حصين، ولم يذكره احد في الثقات غير ابن حبان، وقال الذهبي: لا يعرف، وباقي رجاله ثقات رجال الشيخين. بهز: هو ابن اسد، وحصين: هو ابن عبد الرحمن السلمي، والاحنف: هو ابن قيس التميمي واخرجه الطيالسي (82) ، وابن ابي عاصم (1303) من طريق ابي عوانة، بهذا الاسناد واخرجه ابن ابي شيبة 12 / 39، وابن ابي عاصم (1303) و (1304) ، والبزار (390) و (391) ، والنساىي 6 / 46 و233 و234، وابن خزيمة (2487) ، وابن حبان (6920) من طريقين عن حصين، به. وقد تقدم من طريق اخر برقم (420) وسياتي من طريق اخر عن عثمان (555) . وله شاهد من حديث ثمامة بن حزن القشيري عند الترمذي (3703) ، والنساىي 6 / 235 - 236، قال الترمذي: حديث حسن

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
মুসনাদে আহমাদ
মুসনাদে উসমান বিন আফফান (রাঃ) [উসমানের বর্ণিত হাদীস] (مسند عثمان بن عفان)