৯০

পরিচ্ছেদঃ

৯০। আবদুল্লাহ ইবনে উমার (রাঃ) বর্ণনা করেন, আমি, যুবাইর ও মিকদাদ বিন আসওয়াদ খাইবারে আমাদের জমি দেখতে গেলাম। খাইবারে পৌছে আমরা পৃথক হয়ে নিজ নিজ জমিতে অবস্থান করলাম। রাতে আমি যখন বিছানায় ঘুমিয়ে আছি, তখন আমার ওপর আক্রমণ চালানো হলো এবং কনুই থেকে আমার দুই হাত ভেঙ্গে ফেলা হলো। পরদিন ভোরে আমার সাথীদ্বয় আমার কাছে এল, আমার অবস্থা দেখে চিৎকার করে উঠলো এবং আমার কাছে জিজ্ঞেস করলো, কে আপনার এ অবস্থা করেছে? আমি বললামঃ জানি না। অতঃপর উভয়ে আমার হাত দুটো ঠিক করে দিল। তারপর আমাকে সাথে নিয়ে উমার (রাঃ) এর নিকট গেল। উমার (রাঃ) বললেনঃ হে জনতা, রাসূলুল্লাহ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম খাইবারের ইহুদীদের সাথে এই মর্মে চুক্তি করেছিলেন যে, আমরা যখন চাইব তাদেরকে বহিষ্কার করবো। ইতিমধ্যে তারা আবদুল্লাহ ইবনে উমারের ওপর আক্রমণ চালিয়েছে এবং তার দু’হাত ভেঙ্গে দিয়েছে, যেমন তোমরা জানতে পেরেছ। ইতিপূর্বে তো তারা আনসারদের ওপরও অত্যাচার চালিয়েছে। তারা যে এদেরই লোক তাতে কোন সন্দেহ নেই। ওরা ছাড়া খাইবারে আমাদের আর কোন শত্রুনেই। অতএব খাইবারে তোমাদের (মুসলিমদের) যার কোন সম্পত্তি আছে, সে যেন তা নিজ দখলে নিয়ে নেয়। কেননা আমি অচিরেই ইহুদীদেরকে বহিষ্কার করতে যাচ্ছি। অতঃপর তিনি তাদেরকে বহিষ্কার করেন।[১]

حَدَّثَنَا يَعْقُوبُ، حَدَّثَنَا أَبِي، عَنِ ابْنِ إِسْحَاقَ، قَالَ: حَدَّثَنِي نَافِعٌ مَوْلَى عَبْدِ اللهِ بْنِ عُمَرَ عَنْ عَبْدِ اللهِ بْنِ عُمَرَ، قَالَ: خَرَجْتُ أَنَا وَالزُّبَيْرُ والْمِقْدَادُ بْنُ الْأَسْوَدِ إِلَى أَمْوَالِنَا بِخَيْبَرَ نَتَعَاهَدُهَا، فَلَمَّا قَدِمْنَاهَا تَفَرَّقْنَا فِي أَمْوَالِنَا، قَالَ: فَعُدِيَ عَلَيَّ تَحْتَ اللَّيْلِ، وَأَنَا نَائِمٌ عَلَى فِرَاشِي، فَفُدِعَتْ يَدَايَ مِنْ مِرْفَقَيَّ، فَلَمَّا أَصْبَحْتُ اسْتُصْرِخَ عَلَيَّ صَاحِبَايَ، فَأَتَيَانِي، فَسَأَلانِي عَمَّنْ صَنَعَ هَذَا بِكَ؟ قُلْتُ: لَا أَدْرِي، قَالَ: فَأَصْلَحَا مِنْ يَدَيَّ، ثُمَّ قَدِمُوا بِي عَلَى عُمَرَ فَقَالَ: هَذَا عَمَلُ يَهُودَ
ثُمَّ قَامَ فِي النَّاسِ خَطِيبًا، فَقَالَ: أَيُّهَا النَّاسُ، إِنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ عَامَلَ يَهُودَ خَيْبَرَ عَلَى أَنَّا نُخْرِجُهُمْ إِذَا شِئْنَا، وَقَدْ عَدَوْا عَلَى عَبْدِ اللهِ بْنِ عُمَرَ فَفَدَعُوا يَدَيْهِ كَمَا بَلَغَكُمْ، مَعَ عَدْوَتِهِمْ عَلَى الْأَنْصَارِيِّ قَبْلَهُ، لَا نَشُكُّ أَنَّهُمْ أَصْحَابُهُمْ، لَيْسَ لَنَا هُنَاكَ عَدُوٌّ غَيْرَهُمْ، فَمَنْ كَانَ لَهُ مَالٌ بِخَيْبَرَ فَلْيَلْحَقْ بِهِ فَإِنِّي مُخْرِجٌ يَهُودَ. فَأَخْرَجَهُمْ

إسناده حسن، ابن إسحاق - وهو محمد - حسن الحديث، وقد صرح هنا بالتحديث فانتفت شبهة تدليسه، وباقي رجاله ثقات رجال الشيخين. يعقوب: هو ابن إبراهيم بن سعد بن إبراهيم بن عبد الرحمن بن عوف

وأخرجه مختصراً أبو داود (3007) عن أحمد بن حنبل، بهذا الإسناد
وأخرجه كذلك البزار (154) من طريق يحيى بن سعيد الأموي، عن ابن إسحاق، به
وأخرجه البخاري (2730) من طريق مالك، عن نافع، به
وقوله: " ففدعت "، الفَدَع - بالتحريك -: زيغ بين القدم وبين عظمة الساق، وكذلك في اليد، وهو أن تزول المفاصل عن أماكنها

حدثنا يعقوب حدثنا ابي عن ابن اسحاق قال حدثني نافع مولى عبد الله بن عمر عن عبد الله بن عمر قال خرجت انا والزبير والمقداد بن الاسود الى اموالنا بخيبر نتعاهدها فلما قدمناها تفرقنا في اموالنا قال فعدي علي تحت الليل وانا ناىم على فراشي ففدعت يداي من مرفقي فلما اصبحت استصرخ علي صاحباي فاتياني فسالاني عمن صنع هذا بك قلت لا ادري قال فاصلحا من يدي ثم قدموا بي على عمر فقال هذا عمل يهودثم قام في الناس خطيبا فقال ايها الناس ان رسول الله صلى الله عليه وسلم كان عامل يهود خيبر على انا نخرجهم اذا شىنا وقد عدوا على عبد الله بن عمر ففدعوا يديه كما بلغكم مع عدوتهم على الانصاري قبله لا نشك انهم اصحابهم ليس لنا هناك عدو غيرهم فمن كان له مال بخيبر فليلحق به فاني مخرج يهود فاخرجهماسناده حسن ابن اسحاق وهو محمد حسن الحديث وقد صرح هنا بالتحديث فانتفت شبهة تدليسه وباقي رجاله ثقات رجال الشيخين يعقوب هو ابن ابراهيم بن سعد بن ابراهيم بن عبد الرحمن بن عوفواخرجه مختصرا ابو داود 3007 عن احمد بن حنبل بهذا الاسنادواخرجه كذلك البزار 154 من طريق يحيى بن سعيد الاموي عن ابن اسحاق بهواخرجه البخاري 2730 من طريق مالك عن نافع بهوقوله ففدعت الفدع بالتحريك زيغ بين القدم وبين عظمة الساق وكذلك في اليد وهو ان تزول المفاصل عن اماكنها

হাদিসের মানঃ হাসান (Hasan)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
মুসনাদে আহমাদ
মুসনাদে উমার ইবনুল খাত্তাব (রাঃ) [উমারের বর্ণিত হাদীস] (مسند عمر بن الخطاب)